Swasthya -Vigyanस्वास्थ्य विज्ञान
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अब तक अधिकांश हिन्द जनता
को यह मालूम नहीं है कि हमारी आरोग्यता किस प्रकार स्थिर रह सकती है और हम किस
प्रकार दीर्घ जीवन प्राप्त कर सकते हैं| इस पुस्तिका में संचिप्त रूप में यही लिखा
गया है, कि जनता इसमें लिखे गये उपायों से अभिज्ञ होकर आरोग्यता का दीर्घ जीवन
प्राप्त कर सांसारिक तथा आत्मिक सुख का अनुभव करें और संसार को बतला दे व दिखला
दें कि हमारे पूर्व पुरुष इस प्रकार से दीर्घजीवी होकर और विद्या प्राप्त कर
भूमंडल पर विजय प्राप्त करके तथा गुरु बन कर संसार में यह डौंडी कराई थी कि “एतदेश
प्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मन:, स्वं स्वं चरित्रन शिक्षेरन पृथिव्यां सर्वमानावः “
परन्तु अज बड़े दुःख के साथ कह्ना पड़ता है कि जिस जाती ने सरे संसार के मनुष्यों को
विद्या दान देकर और शिष्य बनाकर पशु से मनुष्य बनाया था आज उसी जाती के मनुष्य
निर्बल कमजोर दिन दुखी और पराधीन होकर कष्ट भोग रहें हैं अभिप्राय इस पुस्तक के
लिखने का यह है कि हिन्दू जनता अपने बालको को इस पुस्तिका में लिखे उपायों पर
चलायें ताकि स्वाधीन होकर अपने पूर्व पुरुषों की तरह सुख शांति भरा जीवन भोगें|
Tags: Swasthya -Vigyanस्वास्थ्य विज्ञान, Chandra Bhanu Sharma Purohit